संसद में बजट

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संसद में बजट

 

संसद में बजट

हमारी सरकार की संसदीय प्रणाली वेस्टमिंस्टर मॉडल पर आधारित है। इसलिए, संविधान ने बजट से संबंधित व्यय की शक्ति चुने हुए जन प्रतिनिधियों के हाथों में प्रदान की है, और इस प्रकार 'प्रतिनिधित्व के बिना कोई कराधान नहीं' के सिद्धांत को सुस्थापित किया है। विधायिका के अनुमोदन के लिए बजट को तैयार करना केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकार का एक संवैधानिक दायित्व है। कराधान पर विधायी विशेषाधिकार, व्यय पर विधायी नियंत्रण और वित्तीय मामलों में कार्यकारी संसद की पहल, संसदीय वित्तीय नियंत्रण की प्रणाली के कुछ मूलभूत सिद्धांत हैं। इन सिद्धांतों को शामिल करते हुए भारत के संविधान में विशिष्ट प्रावधान हैं। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 265 के अनुसार, 'कानून के प्राधिकार के अलावा कोई कर नहीं लगाया जाएगा या संगृहीत नहीं किया जाएगा'; विधानमंडल के प्राधिकार के बिना कोई व्यय नहीं किया जा सकता (अनुच्छेद 266); और राष्ट्रपति, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में, वार्षिक वित्तीय विवरण को संसद के समक्ष रखे जाने का कार्य कराएंगे (अनुच्छेद 112) । हमारे संविधान के ये प्रावधान सरकार को संसद के प्रति जवाबदेह बनाते हैं। संसद की दोनों सभाओं के समक्ष रखा जाने वाला "वार्षिक वित्तीय विवरण" केन्द्र सरकार का बजट होता है। इस विवरण में एक वित्तीय वर्ष की अवधि शामिल होती है। भारत में वित्तीय वर्ष हर साल एक अप्रैल को आरम्भ होता है। इस विवरण में वित्तीय वर्ष हेतु भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों तथा व्यय का ब्यौरा होता है। "बजट में सम्मिलित व्यय संबंधी प्राक्कलन,जिन्हें लोक सभा द्वारा स्वीकृत किया जाना होता है, अनुदानों की मांगों के रूप में होते हैं। इन मांगों को मंत्रालय-वार क्रमबद्ध किया जाता है तथा प्रत्येक प्रमुख सेवा हेतु एक पृथक मांग प्रस्तुत की जाती है। प्रत्येक मांग में प्रथमतः कुल अनुदान का विवरण होता है और तत्पश्चात् मदों में विभाजित विस्तृत प्राक्कलन संबंधी विवरण होता है। भारत में ,राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित तिथि को संसद में बजट प्रस्तुत किया जाता है। " केंद्रीय बजट संबंधी रोचक तथ्य :- केंद्रीय बजट को प्रस्तुत किए जाने के संबंध में हाल के वर्षों में कुछ परंपरागत बदलाव देखे गए हैं। ब्रिटिश काल से ही प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जा रहा था। तथापि, वर्ष 2017 से इस तारीख को पहले कर दिया गया है, जब तत्कालीन वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी, 2017 को बजट पेश किया। बजट प्रस्तुति की तारीख पहले कर दी गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बजट से संबंधित सभी प्रक्रियाएं 1 अप्रैल अर्थात नए वित्त वर्ष के प्रारंभ से पहले ही पूरी कर ली जाएं। • इससे पहले केंद्र सरकार ने वर्ष 1924 से दो अलग-अलग बजट आरंभ किए हुए थे -रेल बजट और आम बजट । तथापि, वर्ष 2016 में,रेल बजट का केंद्रीय बजट में विलय कर दिया गया। • 1 फरवरी, 2021 को, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण सबसे पहला डिजिटल बजट पेश करने के लिए किसी ब्रीफकेस के बजाय एक टैबलेट लेकर संसद भवन पहुंची थीं। देश में कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया था।

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